सुप्रीम कोर्ट ने हटाया फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन पर बैन
केंद्र सरकार के आदेशानुसार पिछले वर्ष सितंबर में लगभग 328 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (Fixed dose combination) वाली दवाइयों के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। इस कारण जाने माने 6 हज़ार ब्रांड की दवाओं पर बैन लग गया था, और इन दवाओं के ना मिलने से कई लोगों को प्रकार की समस्याओं पेश आ रही थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब पिछले वर्ष से ही बैन की गयी ‘सेरेडॉन’ (Saridon Tablet) समेत तीन और दावों पर से बैन हटा दिया है। इन दवाओं के बेचने पर बैन लगा होने के बावजूद भी यह दवाएं बाज़ार में खुले रूप से बेचीं जा रही थी। किन्तु अब इन दवाओं की बिर्की बाज़ार में पहले की तरह से की जा सकेगी, लेकिन इस बदलाव के बाद भी अभी अन्य ब्रांड की 325 दवाओं पर से बैन को अभी हटाया नहीं गया है।
आइये इस विषय पर कुछ और जानकारी लेने के लिए इसके कुछ पहलु जान लें :-
फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (Fixed dose combination) दवाएं क्या होती हैं?
इन दवाओं को मेडिकल भाषा में एफडीसी कहा जाता है, यह दो या उससे अधिक दवाओं के मिश्रण से बनायीं जाती हैं। इन दवाओं के प्रयोग को अमेरिका के अलावा कई अन्य देशों में भी बैन किया गया है, लेकिन इन दवाओं जितना अधिक चलन भारत में है उतना किसी और देश में देखने को नहीं मिलता। एक लम्बे समय से इन दवाओं के मानव शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर पहले भी कई बार चर्चा की जाती रही है। World Health Organization (W.H.O.) ने भी इन दवाओं के बारे में मेडिकल साइंस को कई बार सचेत किया है। ताकि इन दवाओं के प्रयोग को कम किया जा सके।
कौन-कौन सी लोकप्रिय दवाओं पर अब तक बैन लगा हुआ है?
अब तक स्किन क्रीम पेंद्र्म, ग्लुकोनोर्म पीजी, एंटीबायोटिक, लुपिडीकलोक्स, टेक्सिम एजेड, सेरेडॉन, पैरासीटामोल (Skin cream pendulum, antibiotic, lupidiclox,Texim AZ , ceradon, paracetamol, gluconorum pg) जैसी दर्द निवारक दवाएं इनमे शामिल हैं।
इन दवाओं की बिक्री अब तक प्रतिबंधित थी
बैन किये जाने के बाद भी यह दवाएं बाज़ार में आसानी से मिल रही हैं। भले ही केंद्र सरकार ने 328 दवाओं पर पिछले वर्ष ही बैन लगा दिया था, लेकिन फिर भी यह दवाएं मार्किट में बिक रही थीं, और इनपर रोक नहीं लग पायी थी। लेकिन अब जानी मानी 6 हज़ार ब्रांडेड दवाओं पर बैन लगा दिया गया है। सरकार ने इन फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (Fixed dose combination) जैसे कि सरदर्द, बुखार, बदन दर्द और सर्दी जैसी दवाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। केंद्र सरकार की इस कार्यवाही से सिप्ला, सन फार्मा, वोकहार्ट और फ़ाइजर जैसी कई नामी मेडिकल कम्पनीज को काफी नुक्सान हुआ है। दरअसल जब यह बैन लगा तो कई दवाई कंपनियों ने एक चाल खेली और कई अन्य दवाओं को मिक्स करके लगभग 6 हज़ार प्रकार के अलग-अलग नाम के ब्रांड की नयी दवाएं बनायीं और उन्हें खुले रूप से बिक्री के लिए बाज़ार में उतार दिया। आज इन पर प्रतिबन्ध लगने के बाद भी यह दवाएं बाज़ार में आसानी से मिल रही हैं। और आज यह दवाएं आप रिटेल केमिस्ट शॉप से और ऑनलाइन मेडिकल शॉप्स से भी घर बैठे मंगवा सकते हैं। जब इस प्रकार से बैन हुई दवाएं हमारे शरीर के लिए घातक साबित हो रही हैं और मानव जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, तो ऐसे में सरकार को इस विषय पर कुछ कड़े कदम उठाने चाहियें, ताकि इस पर पूर्ण रूप से रोक लगायी जा सके।
अब सरकार इन घातक दवाओं को बैन करने की तेयारी में जुटी
केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अब तक बेचीं जा रहीं बुखार, सरदर्द, जुकाम और किसी भी प्रकार के बदन दर्द से तुरंत राहत दिलाने वाली यह दवाएं अब जल्द ही पूर्ण रूप से बैन कर दी जाएँगी। क्योंकि यह दवाएं हमारे शरीर पर बड़ा ही दुष्प्रभाव डालती हैं, और हमारे हार्ट को भी नुक्सान पहुंचा कर जानलेवा साबित होती हैं।
सस्ती होने के कारण बाज़ार में आसानी से उपलब्ध
दरअसल इस प्रकार की जेनेरिक दवाओं के बनाने में भी काफी कम लागत आती है, और इनको बेचकर व्यापारी अच्छा ख़ासा मुनाफा कमाते हैं। इन दवाओं को बेचने के लिए किसी प्रकार का मार्किट प्रचार भी नहीं किया जाता, क्योंकि इनकी कीमत भी काफी कम ही राखी जाती है ताकि दुकानदार, केमिस्ट या डॉक्टर आदि इनको बेचकर अधिक पैसा कमा सकें। वैसे तो यह दवाएं देश के हर तरह के बाज़ार में आसानी से मिल ही जाती हैं, लेकिन फिर भी इनका बाज़ार ग्रामीण या छोटे शहरों में यह अधिक बेचीं जाती हैं। सस्ती होने के कारण इन दवाओं का ‘मादक पदार्थों’ (drugs) के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। हर वर्ग के युवा और बच्चे भी इनका सेवन कर अपने जीवन को नष्ट कर रहे हैं। ऐसे में भारत के हर नागरिक का कर्तव्य बनता है कि, इन दवाओं का पुरजोर विरोध करें और समाज को मौत के मुहं में जाने से बचाएं।
स्रोत साभार सहित
सुप्रीम कोर्ट ने हटाया फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन पर बैन
केंद्र सरकार के आदेशानुसार पिछले वर्ष सितंबर में लगभग 328 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (Fixed dose combination) वाली दवाइयों के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। इस कारण जाने माने 6 हज़ार ब्रांड की दवाओं पर बैन लग गया था, और इन दवाओं के ना मिलने से कई लोगों को प्रकार की समस्याओं पेश आ रही थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब पिछले वर्ष से ही बैन की गयी ‘सेरेडॉन’ (Saridon Tablet) समेत तीन और दावों पर से बैन हटा दिया है। इन दवाओं के बेचने पर बैन लगा होने के बावजूद भी यह दवाएं बाज़ार में खुले रूप से बेचीं जा रही थी। किन्तु अब इन दवाओं की बिर्की बाज़ार में पहले की तरह से की जा सकेगी, लेकिन इस बदलाव के बाद भी अभी अन्य ब्रांड की 325 दवाओं पर से बैन को अभी हटाया नहीं गया है।
आइये इस विषय पर कुछ और जानकारी लेने के लिए इसके कुछ पहलु जान लें :-
फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (Fixed dose combination) दवाएं क्या होती हैं?
इन दवाओं को मेडिकल भाषा में एफडीसी कहा जाता है, यह दो या उससे अधिक दवाओं के मिश्रण से बनायीं जाती हैं। इन दवाओं के प्रयोग को अमेरिका के अलावा कई अन्य देशों में भी बैन किया गया है, लेकिन इन दवाओं जितना अधिक चलन भारत में है उतना किसी और देश में देखने को नहीं मिलता। एक लम्बे समय से इन दवाओं के मानव शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर पहले भी कई बार चर्चा की जाती रही है। World Health Organization (W.H.O.) ने भी इन दवाओं के बारे में मेडिकल साइंस को कई बार सचेत किया है। ताकि इन दवाओं के प्रयोग को कम किया जा सके।
कौन-कौन सी लोकप्रिय दवाओं पर अब तक बैन लगा हुआ है?
अब तक स्किन क्रीम पेंद्र्म, ग्लुकोनोर्म पीजी, एंटीबायोटिक, लुपिडीकलोक्स, टेक्सिम एजेड, सेरेडॉन, पैरासीटामोल (Skin cream pendulum, antibiotic, lupidiclox,Texim AZ , ceradon, paracetamol, gluconorum pg) जैसी दर्द निवारक दवाएं इनमे शामिल हैं।
इन दवाओं की बिक्री अब तक प्रतिबंधित थी
बैन किये जाने के बाद भी यह दवाएं बाज़ार में आसानी से मिल रही हैं। भले ही केंद्र सरकार ने 328 दवाओं पर पिछले वर्ष ही बैन लगा दिया था, लेकिन फिर भी यह दवाएं मार्किट में बिक रही थीं, और इनपर रोक नहीं लग पायी थी। लेकिन अब जानी मानी 6 हज़ार ब्रांडेड दवाओं पर बैन लगा दिया गया है। सरकार ने इन फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (Fixed dose combination) जैसे कि सरदर्द, बुखार, बदन दर्द और सर्दी जैसी दवाओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। केंद्र सरकार की इस कार्यवाही से सिप्ला, सन फार्मा, वोकहार्ट और फ़ाइजर जैसी कई नामी मेडिकल कम्पनीज को काफी नुक्सान हुआ है। दरअसल जब यह बैन लगा तो कई दवाई कंपनियों ने एक चाल खेली और कई अन्य दवाओं को मिक्स करके लगभग 6 हज़ार प्रकार के अलग-अलग नाम के ब्रांड की नयी दवाएं बनायीं और उन्हें खुले रूप से बिक्री के लिए बाज़ार में उतार दिया। आज इन पर प्रतिबन्ध लगने के बाद भी यह दवाएं बाज़ार में आसानी से मिल रही हैं। और आज यह दवाएं आप रिटेल केमिस्ट शॉप से और ऑनलाइन मेडिकल शॉप्स से भी घर बैठे मंगवा सकते हैं। जब इस प्रकार से बैन हुई दवाएं हमारे शरीर के लिए घातक साबित हो रही हैं और मानव जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, तो ऐसे में सरकार को इस विषय पर कुछ कड़े कदम उठाने चाहियें, ताकि इस पर पूर्ण रूप से रोक लगायी जा सके।
अब सरकार इन घातक दवाओं को बैन करने की तेयारी में जुटी
केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अब तक बेचीं जा रहीं बुखार, सरदर्द, जुकाम और किसी भी प्रकार के बदन दर्द से तुरंत राहत दिलाने वाली यह दवाएं अब जल्द ही पूर्ण रूप से बैन कर दी जाएँगी। क्योंकि यह दवाएं हमारे शरीर पर बड़ा ही दुष्प्रभाव डालती हैं, और हमारे हार्ट को भी नुक्सान पहुंचा कर जानलेवा साबित होती हैं।
सस्ती होने के कारण बाज़ार में आसानी से उपलब्ध
दरअसल इस प्रकार की जेनेरिक दवाओं के बनाने में भी काफी कम लागत आती है, और इनको बेचकर व्यापारी अच्छा ख़ासा मुनाफा कमाते हैं। इन दवाओं को बेचने के लिए किसी प्रकार का मार्किट प्रचार भी नहीं किया जाता, क्योंकि इनकी कीमत भी काफी कम ही राखी जाती है ताकि दुकानदार, केमिस्ट या डॉक्टर आदि इनको बेचकर अधिक पैसा कमा सकें। वैसे तो यह दवाएं देश के हर तरह के बाज़ार में आसानी से मिल ही जाती हैं, लेकिन फिर भी इनका बाज़ार ग्रामीण या छोटे शहरों में यह अधिक बेचीं जाती हैं। सस्ती होने के कारण इन दवाओं का ‘मादक पदार्थों’ (drugs) के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। हर वर्ग के युवा और बच्चे भी इनका सेवन कर अपने जीवन को नष्ट कर रहे हैं। ऐसे में भारत के हर नागरिक का कर्तव्य बनता है कि, इन दवाओं का पुरजोर विरोध करें और समाज को मौत के मुहं में जाने से बचाएं।
स्रोत साभार सहित
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